Gathering at Kargil Chowk, Patna during fast

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ANNA HAZARE JINDABAAD

Sunday, September 4, 2011

रालेगन सिद्धि में अन्ना का क्या-क्या है कार्यक्रम

आईबीएन-7
रालेगन सिद्धि। रालेगन सिद्धि गांव में मौजूद अन्ना हजारे की सेहत ठीक नहीं है। इसलिए उन्होंने आज होने वाले सारे कार्यक्रम को स्थगित कर दिया है। यही नहीं वो किसी से भी नहीं मिले। लेकिन इसके बावजूद एक शख्स ऐसा है। जिसके पास पहुंचना अन्ना नहीं भूले वो हैं अन्ना के यादव बाबा। जिनका आशीर्वाद लिए बिना वो सुबह का पानी भी नहीं पीते। रालेगन सिद्धि गांव में ही यादव बाबा की समाधि है। अन्ना की शुरुआत यादव बाबा से ही होती है। यादव बाबा गांव के ही एक संत थे, जिन्होंने न सिर्फ ब्रह्मचर्य का पालन किया बल्कि अपनी पूरी संपत्ति गांव के नाम कर दी। यादव बाबा के बारे में ये भी मान्यता है कि उन्होंने जीते जी गांव में समाधि ली थी। गांववालों की मानें तो अन्ना की जिंदगी पर यादव बाबा का काफी प्रभाव है।
लगातार बारह दिनों तक अनशन करने की वजह से अन्ना की सेहत इस समय ठीक नहीं है। अब माना जा रहा है कि शुक्रवार को अन्ना के सम्मान में ग्राम सभा बुलाई जाएगी। शाम 4 बजे होने वाले इस कार्यक्रम के लिए आसपास के 10-12 जिलों से कम से कम 25 हजार लोगों के जुटने की उम्मीद है। अन्ना के आने की खुशी में रालेगन सिद्धि गांव के लोगों ने एक महाभोज का भी इंतजाम किया है। यही नहीं, अब सिविल सोसायटी की अगली बैठक भी रालेगन सिद्धि गांव में ही होगी। माना जा रहा है कि ये बैठक 10 सितंबर को होगी। उस बैठक में किरण बेदी को छोड़कर अरविंद केजरीवाल, शांति भूषण और प्रशांत भूषण समेत तमाम बड़ी हस्तियां मौजूद रहेंगी।
दरअसल अन्ना ने सेहत पूरी तरह से ठीक न होने के बाद भी जिस तरह से गणपति महोत्सव अपने गांव में मनाने का फैसला किया। उससे गांव के लोगों की खुशियां दोगुनी हो चुकी हैं। गांव में अन्ना के साथ पढ़ने वाले बुजुर्ग भी उनकी एक झलक पाने को बेताब हैं। वहीं कुछ लोगों के लिए पुराने दिनों की याद ताजा हो गई है। हालांकि अन्ना के साथ साए की तरह रहने वाले लोगों को उनकी सेहत की चिंता सता रही है।
अन्ना के गांव पहुंचते ही उनके स्कूल के दिनों के साथी सावले राम पठारे और गुलाबराव भालेकर नाम के बुजुर्गों की आंखों में एक ऐसी खुशी झलक रही है कि उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। अन्ना के साथ क्लास 1 से लेकर 7 वी तक की पढा़ई कर चुके हैं, सावला राम और गुलाब राव इस बात से बडे़ ही गर्व महसूस करते हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ छेड़े गए आंदोलन में अन्ना की अगुवाई से ये दोनों इतने प्रभावित हुए कि जब से अन्ना गांव लौट कर आए हैं। तब से पद्मावती मंदिर के बाहर ही उनका इंतजार कर रहे हैं। एक ही ख्वाहिश कि कब अन्ना बाहर आएं और ये उनसे गले मिल सकें। पुराने दिनों को याद करते हुए गुलाब राम बताते हैं कि अन्ना हमेशा देश के लिए कुछ करना चाहते थे, उन्हें जब भी जो कुछ मिला वो उन्होंने गांव के लिए दान कर दिया।
रालेगन में अन्ना के निवास पद्मावति मंदिर के बाहर डटे ये हैं सुरेश पठारे और अनिल शर्मा, सुरेश पठारे साए की तरह अन्ना के साथ रहते हैं। सुरेश ने जहां अन्ना के साथ तिहाड़ में तीन दिन बिताए। वहीं अनिल शर्मा ने अन्ना के साथ ही लगातार 13 दिन तक अनशन किया। अन्ना के छोटे बड़े सभी काम इन्हीं दोनों के जिम्मे हैं। चाहे किसी बड़े नेता या मंत्री से बात ही क्यों न करानी हो। अन्ना की सेहत फिलहाल ठीक नहीं है। ऐसे में इन दोनों की चुनौतियां बढ़ गई हैं।
गौरतलब है कि देश की राजधानी दिल्ली में भ्रष्टाचार के खिलाफ पहली लड़ाई जीतने के बाद अन्ना हजारे बुधवार देर रात एक बजे अपने गांव रालेगन सिद्धि पहुंचे। अन्ना बुधवार शाम 7 बजे के करीब गुड़गांव के मेदांता अस्पताल के पिछले दरवाजे से निकले और सीधे दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे और वहां से किंगफिशर की फ्लाइट से पुणे पहुंचे।

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