पटना : 2.45 बजे इंडिया अगेंस्ट करप्शन के कैंप के सामने युवकों की भीड़ है. वे जोर-जोर से नारेबाजी कर रहे हैं. अशोक राजपथ की ओर से करीब दर्जन भर छात्र आते हैं. उनके हाथों में तिरंगे हैं. ये एक पुतला लेकर आये हैं. कारगिल चौक पर पहुंच कर नारेबाजी करने लगते हैं.
कैंप दो-चार लड़के पहुंचते हैं. इन्हें लगता है ये भी अन्ना समर्थक हैं. लेकिन, ये अन्ना समर्थक नहीं, बल्कि एनएसयूआइ के छात्र हैं. जोर-जोर से नारा लगा रहे हैं-अन्ना हजारे होश में आओ..लोकतंत्र पर हमला करना बंद करो. इधर, कुछ छात्र अन्ना जिंदाबाद के नारे भी लगा रहे हैं.
इस, बीच एक युवक पुतला नीचे करता है. उस पर लिखा है-मैं अन्ना हूं. उसमें आग लगा दी जाती है. एक अन्ना समर्थक की नजर उस पर जाती है. वह आग बुझाने की कोशिश करता है, लेकिन विरोधी गुट उसे धक्का देदेता है.
वह दौड़ कर कैंप की ओर जाता है. उधर से दौड़ते हुए लड़के आते हैं. तब तक अन्ना का पुतला जल कर खाक हो जाता है. अन्ना समर्थक एनएसयूआइ के छात्रों पर टूट पड़ते हैं. एनएसयूआइ के छात्र भागने लगते हैं. अन्ना समर्थक उन्हें दूर तक दौड़ाते हैं.
दो-तीन को पीटते भी हैं. अंतत अन्ना समर्थक नारेबाजी करते हुए लौटते हैं-देश के गद्दारों होश में आओ..सोनिया जिसकी मम्मी है, वह सरकार निकम्मी है. इधर, कैंप से पंकज भूषण घोषणा करते हैं, लोकतंत्र में अपनी बात कहने का सबको अधिकार है. हमें हिंसात्मक कदम नहीं उठाना है. और फिर लोग शांत हो जाते हैं.
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