Gathering at Kargil Chowk, Patna during fast

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ANNA HAZARE JINDABAAD

Thursday, September 1, 2011

अन्ना हजारे का साथ दें


एक मजबूत जन लोकपाल कानून के लिये

अन्ना हजारे का साथ दें

भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत जन लोकपाल कानून बनाने की मांग के लिए अन्ना हज़ारे के नेतृत्व में एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू हुआ है। आज पर्याप्त सबूतों के बावजूद भ्रष्टाचारियों को सज़ा नहीं मिलती। जन लोकपाल यह सुनिश्चित करेगा कि प्रत्येक भ्रष्टाचारी को सज़ा हर हाल में और निश्चित समयावधि में मिले।

आईये, ``जन लोकपाल बिल´´ के बारे में और अधिक जानें
  • केन्द्र सरकार में ``जन लोकपाल´´ और प्रत्येक राज्य के लिये ``जन लोकायुक्त´´ का गठन किया जायेगा।
  • प्रत्येक जन लोकपाल या जन लोकायुक्त में एक अध्यक्ष और दस सदस्य होंगे।
  • केन्द्र सरकार से सम्बन्धित भ्रष्टाचार के शिकायतों की जिम्मेदारी जन लोकपाल की होगी जबकि राज्य सरकारों के विभागों से जुडी शिकायतें उस राज्य के जन लोकायुक्त देखेंगे।
  • आज, भ्रष्टाचार निरोधी सभी संस्थायें भ्रष्ट नेताओं और अफसरों के सीधे नियन्त्रण में काम करती हैं लेकिन जन लोकपाल और जन लोकायुक्त सरकार से पूरी तरह स्वतन्त्र होंगे। नेता और अफसर इनके कामकाज में दख़ल नहीं दे सकेंगे। अपने कामकाज को सुचारू रूप से चलाने के लिये आवश्यकतानुसार वित्तीय संसाधन उपलब्ध करायें जायेंगे। जरूरत के मुताबिक उन्हें अपने कर्मचारी नियुक्त करने की भी छूट होगी।

 भ्रष्टाचारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी? 
आज हर तरफ भारी भ्रष्टाचार है- चाहे पंचायत के काम हो, चाहे सड़क बनाने का, नरेगा, मिड-डे मिल, राशन से लेकर खदानों के ठेकों, 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला, कामनवेल्थ तक जहां देखो वहीं भ्रष्टाचार। जन लोकपाल यह सुनिश्चित करेगा कि हर भ्रष्टाचारी को निश्चित रूप से सजा मिले।
  • जांच की निश्चित समयावधि- भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में जांच का काम एक साल में पूरा कर लिया जायेगा। जरूरत पड़ने पर जन लोकपाल या जन लोकायुक्त और अफसरों की भर्ती कर सकेंगे। जांच के बाद निम्न दो कार्रवाई की जाएंगी-
    • भ्रष्ट अफसरों को नौकरी से हटाना- पर्याप्त सबूतों के होने पर लोकपाल के पास भ्रष्ट अफसरों को हटाने या उनके खिलाफ अन्य किसी विभागीय दण्ड लगाने का अधिकार होगा।
    • जेल भेजने की कार्रवाई- जांच की प्रक्रिया पूरी हो जाने पर जन लोकपाल या जन लोकायुक्त अदालत में केस दाखिल करेगा। कोर्ट को एक साल के भीतर ट्रायल पूरा करके सज़ा सुनानी होगी। समय पर ट्रायल सुनिश्चित करने के लिए जन लोकपाल या जन लोकायुक्त अतिरिक्त कोर्ट शुरू करने के लिए सरकार को निर्देश दे सकेंगे।
  • सरकार को हुए नुकसान की वसूली- जांच के दौरान जन लोकपाल या जन लोकायुक्त आरोपी के साथ ही साथ यदि किसी अन्य को भी आरोपी से लाभ मिला हो तो उन सब की सम्पत्तियों के हस्तान्तरण पर प्रतिबन्ध लगा सकेगा। फैसला सुनाते वक्त कोर्ट भ्रष्टाचार से सरकार को हुए नुकसान का निर्धारण करेगा। इस नुकसान की वसूली इन सम्पत्तियों से भू-राजस्व की तरह की जाएगी। (मौजूदा कानून में भ्रष्टाचारियों द्वारा ली गई रिश्वत या सरकार को हुए नुकसान की वसूली का कोई प्रावधान नहीं है।)
  • सम्पत्तियों की कुर्की- सभी अफसरों, नेताओं और जजों को हर साल अपने और अपने परिवार के चल एवं अचल सम्पत्तियों का विवरण जमा करना होगा जिसे सरकारी वेबसाईट पर डाला जायेगा। इसके बाद यदि कोई सम्पत्ति पाई जाती है तो यह मान लिया जायेगा कि इसे भ्रष्टाचार से हासिल किया गया है। हर चुनाव के बाद भी जन लोकपाल प्रत्येक प्रत्याशी द्वारा घोषित सम्पत्तियों की जांच करेगा। अघोषित सम्पत्ति की कुर्की कर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज कर लिया जायेगा।
  • आदेश की अवहेलना पर सजा का अधिकार- यदि जन लोकपाल या जन लोकायुक्त के आदेशों का पालन नही होता है तो उस दशा में दोषी अधिकारियों के उपर आर्थिक दण्ड लगाने के  साथ-साथ उनके खिलाफ  अवमानना का मामला भी चलाया जायेगा।

जन लोकपाल आम आदमी को रिश्वतखोरी से कैसे राहत दिलायेगा?

आज एक आम आदमी को किसी भी सरकारी दफ्तर में अपना काम कराने के लिये रिश्वत देनी पड़ती है। जन लोकपाल और जन लोकायुक्त ऐसे रोजमर्रा के भ्रष्टाचार से राहत दिलायेगा।
  • सभी सरकारी विभागों को एक नागरिक चार्टर तैयार करना होगा, जिसमें इस बात का उल्लेख होगा कि कौन सा अधिकारी जनता का कौन सा काम कितने दिन में पूरा करेगा। जैसे- कौन सा अफसर राशन कार्ड बनायेगा, कौन सा अफसर पासपोर्ट बनायेगा और इनको बनाने में कितना वक्त लगेगा।
  • अगर चार्टर का पालन नहीं किया जाता, तो कोई भी व्यक्ति उसके खिलाफ उस विभाग के मुखिया के पास शिकायत कर सकेगा विभाग का मुखिया जन शिकायत अधिकारी (पीजीओ) के रूप में कार्य करेगा।
  • पीजीओ को शिकायत का निपटारा अधिकतम 30 दिनों में करना होगा।  
  • अगर शिकायतकर्ता पीजीओ से सन्तुष्ट नहीं होता है, तो वह इसकी शिकायत सीधे जन लोकपाल/जन लोकायुक्त के सतर्कता अधिकारी से कर सकता है। 
  • ऐसी शिकायतों में यह मान लिया जाएगा कि इनमें रिश्वतखोरी का मामला बनता है। 
  • सतर्कता अधिकारी को-
    • 30 दिनों के भीतर उस शिकायत का निपटारा करना होगा।
    • दोषी अधिकारियों पर जुर्माना लगाया जाएगा, जिसे शिकायतकर्ता को मुआवजे के रूप में दिया जाएगा। 
    • दोषी अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार की कार्यवाही शुरु की जायेगी।

 जन लोकपाल और जन लोकायुक्त में भ्रष्टाचार रोकने के लिए क्या किया जाएगा?
1. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इस काम के लिए सही लोगों का चयन हो।!
इसके लिए चयन प्रकिया को पारदर्शी, व्यापक आधार वाला बनाया जाएगा जिसमें लोगों की पूरी भागीदारी होगी।
  • जन लोकपाल के दस सदस्यों और अध्यक्ष के चयन के लिए एक चयन समिति बनाई जाएगी। इस समिति में प्रधानमन्त्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता, दो सबसे कम उम्र के सुप्रीम कोर्ट जज, दो सबसे कम उम्र के हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, भारत के नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी), मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) होंगे। चयन समिति योग्य लोगों का चयन उस सूची से करेगी, जो उसे `सर्च कमेटी´ द्वारा मुहैया कराई जाएगी। 
  • सर्च कमेटी में दस सदस्य होंगे, जिसका गठन इस तरह होगा:- सबसे पहले पूर्व सीईसी और पूर्व सीएजी में से पांच सदस्य चुने जाएंगे। इनमें वो पूर्व सीईसी और पूर्व सीएजी शामिल नहीं होंगे, जो दाग़ी हों या किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़ हुए हों या अब भी किसी सरकारी सेवा में कार्यरत हों। ये पांच सदस्य अब बाक़ी पांच सदस्यों का चयन देश के  सम्मानित लोगों में से करेंगे, और इस तरह दस लोगों की सर्च कमेटी बनेगी।
  • सर्च कमेटी देश के विभिन्न सम्मानित लोगों जैसे सम्पादकों, कुलपतियों, या जिनको वो ठीक समझें- उनसे सुझाव मांगेगी। इनके नाम और उनके सुझाव वेबसाइट पर डाले जाएंगे, जिन पर जनता की राय ली जाएगी। इसके बाद सर्च कमेटी की मीटिंग होगी जिसमें आम राय से रिक्त पदों से तिगुनी संख्या में उम्मीदवारों को चुना जाएगा। यह सूची चयन समिति को भेजी जाएगी, जो सदस्यों का चयन करेगी।
  • सर्च कमेटी और चयन समिति की सभी बैठकों की वीडियों रिकॉर्डिंग होगी, जिसे सार्वजनिक किया जाएगा।
  • इसके बाद जन लोकपाल और जन लोकायुक्त अपने कार्यालय के अधिकारियों का चयन करेंगे और उन्हे नियुक्त करेंगे।

2. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ये लोग ठीक से काम करें!
  • जन लोकपाल या जन लोकायुक्त को हर शिकायत पर कार्रवाई करनी होगी। सुनवाई किए बिना किसी भी शिकायत को खारिज नहीं किया जाएगा। किसी भी मामले को बन्द करने के बाद उससे जुड़े तमाम दस्तावेजों को सार्वजनिक किया जाएगा।
  • जन लोकपाल और जन लोकायुक्त का कामकाज पूरी तरह पारदर्शी होगा। जिन दस्तावेजों से राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित होती हो या जिनसे भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को खतरा पहुंचता हो, उन दस्तावेजों को छोड़कर जांच खत्म होने पर सभी रिकॉड्र्स सार्वजनिक किए जाएंगे। 
  • कितने मामले आये, कितने सुलझाए गए, कितने बन्द कर दिए गए, क्यों बन्द कर दिए गए, कितने लम्बित हैं आदि का पूरा लेखा-जोखा हर महीने वेबसाइट पर प्रकाशित किया जायेगा।

3. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जन लोकपाल या जन लोकायुक्त किसी से प्रभावित न हों।
जन लोकपाल या जन लोकायुक्त के अध्यक्ष या सदस्यों का कार्यकाल खत्म होने के बाद वो किसी भी सरकारी पद को ग्रहण नही कर सकेंगे और ना ही कोई चुनाव लड़ सकेंगे।    

4. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अगर वे ठीक से काम नहीं करेंगे तो हटा दिए जाएंगे।
  • किसी जन लोकपाल या जन लोकायुक्त के स्टाफ के खिलाफ कोई भी शिकायत सीधे जन लोकपाल या जन लोकायुक्त के पास की जायेगी। इनकी पूछताछ एक महीने के अन्दर पूरी करनी होगी। अगर आरोप सही पाए गए, तो अगले एक महीने के भीतर उन्हे बर्खास्त  कर दिया जायेगा साथ ही उनके उपर भारतीय दण्ड संहिता एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत फौजदारी का मुकदमा भी दायर किया जायेगा।
  • जन लोकपाल या जन लोकायुक्त के अध्यक्ष व सदस्यों के खिलाफ कोई भी आदमी उच्चतम न्यायालय या उस राज्य के उच्च न्यायालय में शिकायत कर सकता है। उस न्यायालय के बेंच के सुनवाई के बाद विशेष जांच टीम के गठन का आदेश दिया जा सकता है। जो तीन महीने में जांच करके इसकी रिपोर्ट सौम्पेगी। इस रिपोर्ट के आधार पर न्यायालय जन लोकपाल या जन लोकायुक्त के अध्यक्ष या सदस्यों को हटाने का आदेश दे सकती है।

कुछ और मुद्दे:


 वर्तमान व्यवस्था
 जन लोकपाल-जन लोकायुक्त की प्रस्तावित व्यवस्था
 सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज
 भारत के मुख्य न्यायधीश की अनुमति के बिना सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के किसी जज के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती। ऐसे बहुत कम उदाहरण हैं जब भारत के मुख्य न्यायाधीश ने अपने ही जजों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मंजूरी दी हो।
 जन लोकपाल बिल में लोकपाल की पूरी बेंच किसी जज के खिलाफ मामला दर्ज करने के बारे में फैसला करेगी। भारत के मुख्य न्यायाधीश की मंजूरी की कोई जरूरत नहीं होगी। इस तरह न्यायपालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार से निपटा जा सकेगा।
 सजा
 भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी पाए जाने पर 6 महीने से लेकर 7 साल तक जेल का प्रावधान है, जो पर्याप्त नहीं है।
 दोषी पाए जाने पर कम से कम एक साल और अधिक से अधिक सख्त उम्रकैद का प्रावधान होगा। उच्च अधिकारियों एवं नेताओं का कड़ी सज़ा दी जाएगी।
 सुबूत                                         
 वर्तमान में यदि कोई व्यक्ति सरकार से अवैध रूप से कोई लाभ प्राप्त करता है, तो यह साबित करना मुश्किल होता है कि उसने रिश्वत दी है।
 अगर कोई व्यक्ति नियमों और कानूनों से हटकर सरकार से काई लाभ प्राप्त करता है, तो मान लिया जाएगा कि वह व्यक्ति और सम्बन्धित सरकारी अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।  
 भ्रष्टाचार उजागर करने वालों की सुरक्षा
 वर्तमान में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों को डराया-धमकाया और यहां तक कि मार भी दिया जाता है। इन्हें किसी तरह की सुरक्षा नहीं मिलती।
 जन लोकपाल और जन लोकायुक्त ऐसे लोगों की सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार होंगे।
 कई तरह की भ्रष्टाचार निरोधी एजेन्सीयां
 वर्तमान में कई तरह की भ्रष्टाचार एजेन्सीयां है जैसे-सीबीआई, सीवीसी, एसीबी और राज्य सतर्कता विभाग। ये सभी भ्रष्ट अफसरों और नेताओं के कहे अनुसार काम करती हैं और उन्हें संरक्षण प्रदान करती हैं। इनका कोई फायदा नहीं है।
 केन्द्र सरकार के सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा, सीबीसी और अन्य सभी विभागीय सतर्कता इकाईयों को जन लोकपाल में मिला दिया जायेगा। 

राज्य स्तर पर काम कर रही पुलिस की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा, राज्य सतर्कता विभाग और सभी विभागीय सतर्कता इकाईयों के साथ-साथ राज्य में काम कर रहे लोकायुक्त को भी जन लोकायुक्त में मिला दिया जायेगा।




लेकिन कुछ लोग कह रहे हैं कि...

... प्रधानमन्त्री को जन लोकपाल के दायरे में नहीं रखा जाना चाहिए!

... न्यायपालिका को इसके दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए!

... जन शिकायतों को जन लोकपाल में शामिल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इससे जन लोकपाल का काम   बहुत बढ लाएगा
... जन लोकपाल को उन व्यक्तियों  की सुरक्षा का जिम्मा नहीं देना चाहिए जो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं!
... जन लोकपाल को सिर्फ भ्रष्टाचार के बड़े मामलों की ही जांच करनी चाहिए।
... सीबीआई, सीवीसी और विभागीय विजिलेंस का जन लोकपाल में विलय नहीं किया जाना चाहिए। मौजूदा भ्रष्टाचार एजेन्सीयां  जैसा काम कर रही हैं, वैसे ही उन्हें काम करते रहने देना चाहिये।

आप क्या सोचते हैं?
क्या आप भी ऐसा मानते हैं?
सबको बताईये। चुप मत रहिये। अपने क्षेत्र के अख़बारों और टीवी चैनलों को बताइए कि 
आप उपरोक्त बिन्दुओं पर क्या सोचते है?

इस कानून पर अपनी राय भेजें: 
email: lokpalbillcomments@gmail.com
(website: www.lokpalbillconsultation.org)
indiaagainstcorruptionbihar@yahoo.in
अभियान से जुड़े रहने के लिए             02261550789       पर मिस्ड कॉल करें।

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