Gathering at Kargil Chowk, Patna during fast

Gathering at Kargil Chowk, Patna during fast
ANNA HAZARE JINDABAAD

Wednesday, August 31, 2011

Lokpal Standing Committee: Manish opts out


New Delhi, Aug 31 (IBNS) Congress spokesperson Manish Tiwari, who is a member of the Standing Committee of the Parliament which will soon review the Lokpal Bill, has decided to recuse himself from the panel in the interest of a strong and non-controversial anti-corruption ombudsman law.

"I support a strong and effective Lokpal Bill. There should not be even a shadow of controversy over the deliberations on this important piece of legislation. So I thought that in the best interest of everyone I should recuse myself," said Tiwari.

A soft-spoken Tiwari said he came across some adverse media reports about his presence in the panel and hence took the decision.
Tiwari had attacked Anna Hazare as a party spokesperson of Congress and accused the Gandhian activist of indulging in corruption himself, but later apologized for his remarks and withdrew them.
He said some of his utterances were hurtful and "I regret the same"., though Anna group is planning to sue him for his remarks.
Anna group had objected to the presence of Tiwari, RJD leader Lalu Yadav and former Samajwadi Party leader Amar Singh in the Standing Committee on Law and Justice, the term of which is ending on Aug 31.
It will be reconstituted early September and the present chairman Abhishek Manu Singhvi is likely to continue as the head.
The standoff between the government and Anna Hazare, who was on an indefinite fast, came to an end on Aug 28 when a united Parliament after accepted the three demands of the civil society led by Hazare-- bringing lower bureaucracy under the Lokpal's ambit, establishing Lokayuktas in states and formulating a citizens' charter.
The Standing Committee will review the Lokpa Bill and its various versions.

He immolated himself for cause, died unsung


NEW DELHI: Hours after the nation celebrated the "people's victory" under Anna's leadership , one of his most ardent supporters lost his battle for life in a dimly lit corner of the burn ward at the Lok Nayak Hospital . His last wish went unfulfilled : that of hearing from his idol. Dinesh Yadav, who had set himself ablaze last Tuesday, succumbed to his injuries early on Monday. His only solace was the news of Anna ending his fast and the government acceding to his demands.
"Dinesh was a true martyr to Anna's cause, and yet he was ignored. The entire nation is celebrating, but our world has been ripped apart. His children are still very young: what will happen to them?" said Amarjeet Yadav, Dinesh's youngest brother. The family took away the body to their village in Bihar to perform the last rites. "I struggled to find courage to break the news to my father, which I did only in the afternoon . A father should not have to see his son die," said Lalan Kumar Yadav, another brother.
The family said Dinesh was always against corruption; but they still can't accept the enormity of what he did. "It doesn't make any sense. When we heard about the incident we couldn't believe our ears. We didn't even know that he was in Delhi," said Vibhuti Kumar, the village headman.
But there was considerable angst among the family members about the fact that no Team Anna member came to visit Dinesh in the hospital. They said that despite being in agonizing pain, his love for Anna never faltered. He was heavily sedated and he kept drifting in and out of consciousness; yet he still managed a brief smile when he was told that Anna's demands had been met and his fast had ended, the family said. "No one even called to enquire about him. Maybe what he did was wrong, but he did it for Anna," said Mohammad Saleem , a friend.

कार्यक्रम


सरफुद्दीन गांव (दुल्हिनबाजार, पटना, बिहार) निवासी शहीद दिनेश कुमार यादव के आत्मा की शांति के लिए विभिन्न संस्थाओं के तत्वाधान में भिखम दास ठाकुरवाड़ी द्वारा संचालित जगद्गुरु रामानंदाचार्य विद्यालय, बी एम् दास पथ, कदमकुआँ, पटना (बिहार) में ०१ सितम्बर को दिन के २ बजे से ४ बजे तक हवन एवं संकल्प सभा होगी.

इस अवसर पर राज्य के कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह भी उपस्थित रहेंगे तथा अपराह्न ४ बजे से श्रधान्जली एवं संकल्प सभा होगी.

निवेदक:
प्रो. रामपाल अग्रवाल नूतन
राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय गोशाला फेडरेशन
9334116334

Tuesday, August 30, 2011

मौत से पहले दिनेश ने पूछा था, ”टीम अन्ना का कोई क्यों नहीं आया?”


दिनेश यादव का पार्थिव शरीर 
दिनेश यादव का शव जब बिहार में उसके पैतृक गांव पहुंचा तो हजारों की भीड़ ने उसका स्वागत किया और उसकी मौत को ‘बेकार नहीं जाने देने’ का प्रण किया। लेकिन टीम अन्ना की बेरुखी कइयों के मन में सवालिया निशान छोड़ गई। सवाल था कि क्या उसकी जान यूं ही चली गई या उसके ‘बलिदान’ को किसी ने कोई महत्व भी दिया? 
गौरतलब है कि सशक्त लोकपाल पर अन्ना हजारे के समर्थन में पिछले सप्ताह आत्मदाह करने वाले दिनेश यादव की सोमवार को मौत हो गई थी। पुलिस के मुताबिक यादव ने सुबह लोक नायक अस्पताल में दम तोड़ दिया। यादव के परिवारजनों को उसका शव सौंप दिया गया था जो बिहार से दिल्ली पहुंचे थे।
पुलिस के मुताबिक यादव के परिवार वाले उसके अंतिम क्रिया के लिए पटना रवाना हो चुके हैं । उधर, कुछ मीडिया रिपोर्ट की मानें तो 32 वर्षीय यादव की मौत पिछले सप्ताह ही हो चुकी थी। हालांकि पुलिस ने इन रिपोर्ट से इनकार किया है। गौरतलब है कि 23 अगस्त को दिनेश ने राजघाट के पास अन्ना के समर्थन में नारे लगाते हुए खुद पर पेट्रोल छिड़क आग लगा ली थी। 70-80 प्रतिशत जल चुके दिनेश को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बताया जाता है कि कुछ डॉक्टरों और प्रत्यक्षदर्शी अस्पताल कर्मियों से दिनेश ने आखिरी दिन तक पूछा था कि क्या उससे मिलने अन्ना की टीम से कोई आया था?
दिनेश यादव का शव जब पटना के निकट दुल्हन बाजार स्थित उनके गांव सर्फुदीनपुर पहुंचा तो पूरा गांव उमड़ पड़ा था। सब ने शपथ ली है.. इस मौत को जाया नहीं जाने देंगे। एक पत्रकार ने फेसबुक पर लिखा है, ”मुझे लगता है टीम अन्ना को इस नौजवान के परिवार की पूरी मदद करनी चाहिए। उनके घर जाकर उनके परिवारवालों से दुख-दर्द को बांटना चाहिए।”
दिनेश के परिवार के लोग बेहद गरीब और बीपीएल कार्ड धारक हैं। कई पत्रकारों का भी कहना है कि सहयोग के लिए अगर कोई फोरम बनेगा तो वे भी शामिल होने को तैयार हैं। दिनेश के तीन बच्चे हैं। उसकी पत्नी का रो रो कर बुरा हाल है और वह कई बार बेहोश हो चुकी है। उसके बाद परिवार में कमाने वाला कोई नहीं है।
उधर अन्ना हज़ारे अनशन टूटने के तीसरे दिन भी गुड़गांव के फाइव स्टार अस्पताल मेदांता सिटी में स्वास्थ लाभ लेते रहे।

अन्ना आप देश के लिए अत्यंत मूल्यवान हो

मेदांता मेडिसिटी हॉस्पिटल जहाँ अन्ना का इलाज हो रहा है, हम सबों की दुआ है की आप जल्द स्वस्थ हों. आप हर भारतीय की जबाबदेही हो.

शहीद दिनेश की कुर्बानी व्यर्थ नहीं होगी, दूसरा रालेगन सिद्धी बनेगा सरफुद्दीनपुर गांव


पटना,30.08.2011. बिहार के सर्फुद्दीनपुर गांव, पंचायत सिंघारा कोपरा, दुल्हिन बाजार, पटना निवासी स्व. दिनेश यादव का पार्थिव शरीर सड़क मार्ग द्वारा दिल्ली से गांव होते हुए पटना स्थित बांसघाट पहुंचा जहाँ पहुंचे अन्ना समर्थक भी अपने आंसू रोक नहीं पाए. जी एम् फ्री बिहार मूवमेंट के संयोजक पंकज भूषण ने कहा की शहीद दिनेश की कुर्बानी व्यर्थ नहीं जायेगी और जल्द ही सरफुद्दीनपुर गांव अगला रालेगन सिद्धी बनेगा.

विदित हो कि पटना जिले के सर्फुद्दीनपुर गांव निवासी दिनेश यादव, दिनांक २१.०८.२०११ को अपने गांव से निकले और अन्ना के समर्थन में पटना से दिल्ली को रवाना हो गया. उनके गांव के खाश मित्र सुनील कुमार सिन्हा ने पंकज भूषण को बताया कि उसने २३.०८.२०११ को दिन में ०२.०३ बजे दिल्ली से फोन से बताया की मैं यहाँ अन्ना के समर्थन में आया हूँ. और फिर उसके मित्र ने बांस घाट पर बताया कि वही मेरी अंतिम बात थी फिर शाम में जैसे हीं टी वी देखा तब पता चला कि दिनेश ने राजघाट के पास आत्मदाह कर लिया है. अंतिम लब्ज थे अन्ना जिन्दाबाद. उसी दिन उसे लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल में भरती कराया गया. जहाँ २९.०८.२०११ को सुबह उसने दम तोड़ दिया और अन्ना के समर्थन में बिहार का एक नौजवान शहीद हो गया. साथ हीं जानकारी हुई कि शहीद की पत्नी मल्मतिया देवी और माता श्रीमती माया देवी का बिलख बिलख कर बुरा हाल है.

स्व. दिनेश के छोटे भाई अमरजीत जो दिल्ली में एक इम्ब्रौद्री कारखाने में काम करते हैं, ने बताया कि अस्पताल में कोई देखने नहीं आया सिर्फ दो हमारे इलाके के सांसद आये थे, पुलिस वालों ने ३५००/= की मदद की, फिर एक एम्बुलेंस में शहीद के शव को रखकर गांव होते हुए पटना स्थित बांस घाट पर लाया गया, जहाँ उनके ज्येष्ठ पुत्र गुड्डू, उम्र १० वर्ष, ने मुखाग्नि दी. स्व. दिनेश ने अपने बाद पांच बच्चों, जिनमें तीन पुत्र (गुड्डू,सोहेल,अमन) एवं दो पुत्रियों (पूजा एवं भारती) को छोड़ा है. सबसे ज्येष्ठ पुत्र की उम्र १० वर्ष और कनिष्ठ की उम्र ३ वर्ष है.

शहीद के पिता विंदा यादव ने बताया कि हमारी आर्थिक स्थति बिलकुल खराब है और दिनेश ही पुरे परिवार को खेती मजदूरी करके पल रहा था. अब क्या होगा ! फिर उन्होंने बताया की हमारे चार लड़कों यथा स्व. दिनेश यादव (३० वर्ष), मिथिलेश कुमार (२८ वर्ष दिल्ली में बल्ब फैक्ट्री में कार्यरत है), ब्रजमोहन (२६ वर्ष, गांव में हीं रहता है) तथा छोटा अमरजीत (१९ वर्ष) दिल्ली में काम करता है. उक्त पंचायत के मुखिया के पति बादशाह ने कहा की हमलोग भी देख रहें हैं पर पारिवारिक स्थिति बहुत ही इनकी खराब है, जिस कारण सबों से मदद की अपील है.

मौके पर उपस्थित अन्ना समर्थक प्रो. रामपाल अग्रवाल नूतन नें तत्काल अंत्येष्ठी के समय ११००/= रुपये एवं मनहर कृष्ण अतुल जी ने ५००/= की सहायता परिवार को दी. साथ में वहां उपस्थित जी एम् फ्री बिहार मूभमेंट के संयोजक पंकज भूषण ने परिवार को सान्तावना देते हुए कहा की शहीद की शहादत बर्बाद नहीं होगी, हम सभी आपके साथ हैं और हर परिस्थिति में मदद को तैयार हैं.  साथ में उपस्थित इंडिया अगेंस्ट करप्शन के साथी तारकेश्वर ओझा, डा. रत्नेश चौधरी, अतुल्य गुंजन, प्रकाश बबलू, शैलेन्द्र जी, रवि कुमार आदि नें भी शोकाकुल परिवार को सांत्वना दी साथ हीं अन्य बिहार वासियों से भी अपील की इस मौके पर अमर शहीद दिनेश के परिवार के देखरेख के लिए अधिक से अधिक मदद करें.

इसी बीच पटना स्थित हमार टी वी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उपस्थित प्रो. रामपाल अग्रवाल नूतन नें शहीद के पिता विंदा यादव को ११०००/=रुपये का चेक दिया और शहीद के माता पिता के भोजन खर्चे में कमी ना होने देने का बीड़ा उठाया और उनके ही पहल पर रोटरी पटना मिड टाउन के अध्यक्ष इंजिनिअर के. के. अग्रवाल  ने उनकी बड़ी लड़की पूजा जिसकी उम्र ९ वर्ष है, जो उत्क्रमित मध्य विद्यालय सर्फुद्दीनपुर के वर्ग ६ कि छात्रा है, के पढाई की खर्च निर्वाह का बीड़ा उठा लिया. अच्छी शिक्षा दीक्षा का वादा किया. साथ हीं रोटरी पटना से विजय श्रीवास्तव ने दूसरी लड़की भारती कुमारी की पढ़ाई का बीड़ा उठा कर एक साहसिक कदम उठाया है और हमारे समाज को एक सन्देश भी दिया है.

इंडिया एगेंस्ट करप्शन से जुड़े तारकेश्वर  ओझा ने जन मानस से अपील की है कि जहाँ तक हो सके हर कोई इस परिवार की मदद करे.

Wednesday, August 24, 2011

अन्ना के खिलाफ़ नारेबाजी पर टकराव


पटना : 2.45 बजे इंडिया अगेंस्ट करप्शन के कैंप के सामने युवकों की भीड़ है. वे जोर-जोर से नारेबाजी कर रहे हैं. अशोक राजपथ की ओर से करीब दर्जन भर छात्र आते हैं. उनके हाथों में तिरंगे हैं. ये एक पुतला लेकर आये हैं. कारगिल चौक पर पहुंच कर नारेबाजी करने लगते हैं.
 कैंप दो-चार लड़के पहुंचते हैं. इन्हें लगता है ये भी अन्ना समर्थक हैं. लेकिन, ये अन्ना समर्थक नहीं, बल्कि एनएसयूआइ के छात्र हैं. जोर-जोर से नारा लगा रहे हैं-अन्ना हजारे होश में आओ..लोकतंत्र पर हमला करना बंद करो. इधर, कुछ छात्र अन्ना जिंदाबाद के नारे भी लगा रहे हैं.
इस, बीच एक युवक पुतला नीचे करता है. उस पर लिखा है-मैं अन्ना हूं. उसमें आग लगा दी जाती है. एक अन्ना समर्थक की नजर उस पर जाती है. वह आग बुझाने की कोशिश करता है, लेकिन विरोधी गुट उसे धक्का देदेता है.
वह दौड़ कर कैंप की ओर जाता है. उधर से दौड़ते हुए लड़के आते हैं. तब तक अन्ना का पुतला जल कर खाक हो जाता है. अन्ना समर्थक एनएसयूआइ के छात्रों पर टूट पड़ते हैं. एनएसयूआइ के छात्र भागने लगते हैं. अन्ना समर्थक उन्हें दूर तक दौड़ाते हैं.
दो-तीन को पीटते भी हैं. अंतत अन्ना समर्थक नारेबाजी करते हुए लौटते हैं-देश के गद्दारों होश में आओ..सोनिया जिसकी मम्मी है, वह सरकार निकम्मी है. इधर, कैंप से पंकज भूषण घोषणा करते हैं, लोकतंत्र में अपनी बात कहने का सबको अधिकार है. हमें हिंसात्मक कदम नहीं उठाना है. और फिर लोग शांत हो जाते हैं.