Gathering at Kargil Chowk, Patna during fast

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ANNA HAZARE JINDABAAD

Tuesday, September 6, 2011

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया अन्ना का समर्थन

http://hindi.lokmanch.com/2011/08/20/mukhymantri-nitish-kumar-ne/

पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा बुजुर्ग समाजसेवी अन्ना हजारे की जंग को समर्थन देने से बिहार अन्ना-अन्ना हो उठा। वहीं लगे हाथ बिहार विधान सभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने सिविल सोसायटी के जन लोकपाल बिल को हर कीमत पर संसद के द्वारा पारित करवाने की दिशा में पहल करने से आम आदमी खुश है। बिहार के इन दोनों दिग्गजों के द्वारा जन लोकपाल बिल को लेकर मैदान में आने से अन्ना के समर्थकों में जोश आ गया है।
इंडिया अग्रेंस्ट करप्शन के आह्वान पर कारगिल चौक के सामने सिविल सोसायटी के द्वारा अनशन किया जा रहा है। भ्रष्टाचार विरोधी मंच के अरूण दास और संघर्ष वाहिनी मंच, बिहार के टी. उपेन्द्र, विजेन्द्र कश्यप के द्वारा चार दिनों से अनशन किया जा रहा है। वहीं मंजू डुंगडुंग, धीरज कुमार सिंह, अजित बहादूर, संजीव कुमार, मुकुल प्रकाश आदि 12 घंटे के अनशन पर हैं। अनशनकारियों को डाक्टर तेजस्वी जांच कर रहे हैं। सभी सामान्य स्थिति में हैं। कार्यक्रम का संचालन कारूजी, पंकज भूषण और सुश्री वर्षा ने किया।
जंतर-मंतर पर सिविल सोसायटी के द्वारा 4 अगस्त से अनशन शुरू किया गया था। समाजसेवी अन्ना हजारे अनशन पर थे। अन्ना के सामने सरकार की आन नहीं ठहर सकी। सरकार झुकी और सरकार के पांच और सिविल सोसायटी के पांच सदस्यों को मिलाकर जन लोकपाल बिल का मसौदा समिति बनायी गयी। कई दौर की बैठक के बाद मसौदा समिति विभक्त हो गयी। दोनों की ओर से अलग-अलग जन लोकपाल बिल बनायी गयी। सरकार ने सिविल सोसायटी को धोखा दे दिया। सरकार के पांच सदस्यों ने लोकपाल बिल बनाकर मंत्री परिषद की बैठक की स्वीकृति ले ली और संसद के सामने पेश कर दिया। बस क्या था विरोध के स्वर मुखर होने लगे। टीम अन्ना ने सरकारी लोकपाल बिल को लोकपाल के नाम पर जनता को धोखा बताया। टीम अन्ना ने सरकारी लोकपाल बिल की अनेक कमियों को गिनाया। लोकपाल बिल में प्रावधान किया गया है कि रिश्वतखोरी से दुखी आम आदमी की शिकायतें नहीं सुनी जाएंगी। नीचले स्तर के अधिकारियों व कर्मचारियों के भ्रष्टाचार जन लोकपाल के दायरे में नहीं आयेंगे। नगर निगम, पंचायत, विकास प्राधिकरणों का भ्रष्टाचार इसकी जांच के दायरे में नहीं आएगा। राज्य सरकारों का भ्रष्टाचार इसके दायरे में नहीं आएगा। प्रधानमंत्री, जजों और सांसदों का भ्रष्टाचार इसके दायरे में नहीं आएगा, यानी 2-जी, कैश फॉर वोट, कामनवेल्थ, आदर्श, येदुरप्पा, जैसे घोटाले इससे एकदम बाहर रखे गए हैं। 7 साल से पुराना कोई भी मामला इसकी जांच के दायरे में नहीं आएगा। अर्थात बोफोर्स, चारा घोटाला जैसा कोई भी घोटाला इसकी जांच के दायरे से पहले ही अलग कर दिया गया है। लोकपाल के सदस्यों का चयन प्रधानमंत्री,एक मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, प्रधानमंत्री द्वारा मनोनीत एक बुद्धिजीवी, एक ज्यूरिस्ट के हाथ में होगा क्योंकि इसके चयन के लिए जो समिति बनेगी उसमें एक बाकी के एक दो लोगों और होंगे, उनकी कौन सुनेगा?
कारगिल चौक पर समय-समय पर तरह-तरह के नजारे उत्पन्न होने लगते हैं। कभी चिकित्सा जगत के छात्र आ जाते हैं। कभी डेंटल कॉलेज के छात्र आ जाते हैं। मीडिया के सामने आने के लिए टोली बनाकर पोस्टर प्रदर्शित करने लगते हैं। कुल मिलाकर अन्ना हजारे के दीवाने पटनाइश हो गये हैं।

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